खगड़िया में मनीष कुमार सिंह की आशीर्वाद यात्रा ने बदला चुनावी समीकरण,त्रिकोणीय मुकाबले में जनता का रुझान ‘स्थानीय बेटे’ की ओर झुका…

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खगड़िया में मनीष कुमार सिंह की आशीर्वाद यात्रा ने बदला चुनावी समीकरण,त्रिकोणीय मुकाबले में जनता का रुझान ‘स्थानीय बेटे’ की ओर झुका…


प्रवीण कुमार प्रियांशु। खगड़िया


खगड़िया विधानसभा का चुनावी रण इस बार कुछ अलग है। सत्ताधारी गठबंधन और महागठबंधन के बीच की परंपरागत लड़ाई को तोड़ते हुए निर्दलीय उम्मीदवार एवं लोकप्रिय शिक्षक नेता मनीष कुमार सिंह ने अपने भव्य आशीर्वाद यात्रा से मैदान पूरी तरह बदल दिया है। सोमवार को निकली यह यात्रा किसी आम राजनीतिक रैली की तरह नहीं थी—यह जनता की भावनाओं, उम्मीदों और स्थानीय अस्मिता की गूंज थी, जिसने पूरे खगड़िया को झकझोर कर रख दिया।सुबह से ही हजारों की भीड़ मुख्यालय के प्रधान कार्यालय पर उमड़ पड़ी। सूर्यमंदिर चौक से शुरू होकर पटेल चौक, कचहरी रोड, विद्यार्थी टोला, अमनी, रनखेत, सबलपुर, बछौता, नवटोलिया और मथुरापुर तक फैली इस यात्रा ने जनसैलाब का रूप ले लिया। महिलाओं ने आरती उतारी, युवाओं ने बाइक रैली निकाली, बुजुर्गों ने आशीर्वाद दिया—हर मोड़ पर जनता ने “खगड़िया का बेटा – मनीष हमारा नेता” के नारे लगाए।

रनखेत में आयोजित विशाल जनसभा में मंच पर जैसे ही मनीष सिंह पहुँचे, भीड़ तालियों और नारों से गूंज उठी। अपने ओजस्वी संबोधन में उन्होंने एनडीए के जदयू उम्मीदवार बबलू कुमार मंडल और महागठबंधन के कांग्रेस प्रत्याशी चंदन यादव पर तीखे शब्दों में हमला बोला।उन्होंने कहा— “ये बाहरी नेता चुनाव के वक्त आते हैं, फोटो खिंचवाते हैं और फिर गायब हो जाते हैं। जनता को उनके दरवाजे ठोंकने पड़ते हैं। लेकिन मैं इस मिट्टी का बेटा हूँ—आपके सुख-दुख में हमेशा साथ रहूंगा। जाति-दल से ऊपर उठिए, इस बार स्वच्छ, ईमानदार और स्थानीय प्रतिनिधि को चुनिए। 6 नवंबर को प्रेशर कुकर छाप (क्रमांक 9) पर बटन दबाइए और खगड़िया में बदलाव की शुरुआत कीजिए!”मनीष ने जनता से सवाल किया—“जब बाढ़ आई थी तो ये नेता कहां थे? जब युवाओं को रोजगार चाहिए था, किसान की फसल डूबी थी, बच्चे शिक्षा के लिए भटक रहे थे—तब कौन आया था मदद करने?” उन्होंने आगे कहा, “मैंने अपने जीवन का हर पल शिक्षा और समाज के लिए समर्पित किया है। अब राजनीति में आकर जनता की आवाज को विधानसभा तक पहुँचाना चाहता हूँ।”

स्थानीय बनाम बाहरी की बहस अब खगड़िया चुनाव का सबसे बड़ा मुद्दा बन चुकी है। मनीष सिंह ने स्पष्ट रूप से कहा कि उनका फोकस शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और बाढ़ नियंत्रण पर रहेगा। “मेरे हाथ मजबूत कीजिए, ताकि आपके बच्चों को बेहतर स्कूल और कॉलेज यहीं मिलें। बाहर जाने की मजबूरी खत्म होगी। हर नागरिक को उसका हक और सम्मान मिलेगा।”भीड़ का उत्साह यह संकेत दे रहा था कि जनता इस बार कुछ नया करने के मूड में है। सबलपुर से मथुरापुर तक लोग सड़कों पर उमड़ पड़े थे, महिलाओं ने छतों से फूल बरसाए, युवाओं ने सोशल मीडिया पर लाइव प्रसारण कर यात्रा को ट्रेंडिंग में ला दिया।राजनीतिक हलकों में खलबली मच गई है। जदयू प्रत्याशी बबलू मंडल जहाँ मनोज तिवारी जैसे स्टार प्रचारकों के साथ रोड शो कर रहे हैं, वहीं कांग्रेस के चंदन यादव राहुल गांधी की रैलियों पर निर्भर हैं। मगर जनता अब सवाल पूछ रही है—“2020 में जीते तो विकास कहां गया? सड़कें, रोजगार, और बाढ़ राहत अब तक क्यों नहीं दिखी?”राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि मनीष कुमार सिंह की यह आशीर्वाद यात्रा सिर्फ एक प्रचार कार्यक्रम नहीं, बल्कि जनाक्रोश की लहर बन चुकी है। यह यात्रा दिखा रही है कि इस बार मुकाबला सिर्फ दो दलों के बीच नहीं, बल्कि जनता बनाम व्यवस्था के बीच है।खगड़िया के हर नुक्कड़ पर अब चर्चा एक ही—
“इस बार बाहरी नहीं, स्थानीय को मौका!”
यात्रा के बाद शहर में जो माहौल बना है, उससे साफ है कि प्रेशर कुकर छाप ने जनता के दिल में जगह बना ली है।6 नवंबर को खगड़िया मतदान करेगा, और अब सबकी नजरें इस त्रिकोणीय जंग पर टिकी हैं।
क्या जनता इस बार दलों की राजनीति से ऊपर उठकर अपने स्थानीय बेटे को विधानसभा भेजेगी?भीड़ का जनसैलाब और जनता का जोश यही इशारा कर रहा है—“खगड़िया में बदलाव की बयार चल पड़ी है!”

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